अब अगर आप मकान किराए पर देने की सोच रहे हैं तो कुछ कानूनी बातें जानना बेहद जरूरी हो गया है। देश के कई राज्यों में किराएदार रखने से पहले मकान मालिक को पुलिस या लोकल अथॉरिटी के पास किरायेदार का सत्यापन और एग्रीमेंट रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य कर दिया गया है। यह नियम लोगों की सुरक्षा और अपराध नियंत्रण के लिए बनाए गए हैं। खासकर मेट्रो शहरों में इसकी सख्ती और ज्यादा बढ़ा दी गई है। अगर आपने बिना रजिस्ट्रेशन के मकान किराए पर दे दिया तो आपको भारी जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए अब हर मकान मालिक को नियमों का पालन करना ही होगा।
किराया समझौता है जरूरी
मकान किराए पर देने से पहले किरायेदार के साथ एक लिखित समझौता यानी रेंट एग्रीमेंट करना जरूरी है। इस एग्रीमेंट में किराया, जमा राशि, अवधि, बिजली-पानी के खर्च और अन्य शर्तों का स्पष्ट उल्लेख होता है। यह दस्तावेज न सिर्फ आपके लिए कानूनी सुरक्षा देता है बल्कि किरायेदार के अधिकार और कर्तव्य भी तय करता है। अगर कोई विवाद होता है तो यही एग्रीमेंट सबसे मजबूत सबूत बनता है। आजकल कई लोग बिना एग्रीमेंट के मकान किराए पर दे देते हैं जो आगे चलकर बड़ा नुकसान दे सकता है। इसलिए पहले ही यह जरूरी कदम उठाना समझदारी है।
रजिस्ट्रेशन न कराने पर जुर्माना
यदि आप किराया समझौता तो कर लेते हैं लेकिन उसका रजिस्ट्रेशन नहीं कराते तो आपको ₹10,000 तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है। रेंट कंट्रोल एक्ट और लोकल प्रॉपर्टी नियमों के अनुसार 11 महीने या उससे ज्यादा अवधि के किराए समझौते का रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होता है। कई जगह तो ऑनलाइन पोर्टल भी उपलब्ध हैं जहां से आप कम समय में डिजिटल तरीके से रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। अगर रजिस्ट्रेशन नहीं होता तो आपकी एग्रीमेंट कानूनी तौर पर मान्य नहीं मानी जाती और कोर्ट में भी उसका ज्यादा महत्व नहीं होता।
पुलिस वेरिफिकेशन भी है जरूरी
मकान मालिक को न सिर्फ रेंट एग्रीमेंट कराना जरूरी है बल्कि किरायेदार का पुलिस वेरिफिकेशन भी अनिवार्य है। यह प्रक्रिया बेहद आसान है और अब ऑनलाइन भी उपलब्ध है। आप लोकल पुलिस स्टेशन की वेबसाइट पर जाकर वेरिफिकेशन फॉर्म भर सकते हैं और किरायेदार की पहचान संबंधित दस्तावेजों के साथ अपलोड कर सकते हैं। इसका उद्देश्य किरायेदार की पृष्ठभूमि की जांच करना होता है ताकि किसी प्रकार की आपराधिक प्रवृत्ति वाला व्यक्ति आपके मकान में न आ सके। पुलिस वेरिफिकेशन न कराना भी कानूनन अपराध की श्रेणी में आता है।
कौन बनवाएगा एग्रीमेंट
अक्सर यह सवाल उठता है कि रेंट एग्रीमेंट मकान मालिक बनाए या किरायेदार। असल में यह दोनों की जिम्मेदारी है और आमतौर पर मकान मालिक ही इसकी पहल करता है। मकान मालिक को चाहिए कि वह एग्रीमेंट किसी रजिस्टर्ड स्टाम्प पेपर पर बनवाए और उसमें सभी नियमों और शर्तों को स्पष्ट रूप से लिखे। उसके बाद दोनों पक्षों के हस्ताक्षर करवाए और लोकल रजिस्ट्रेशन अथॉरिटी से इसे रजिस्टर भी कराए। इससे भविष्य में कोई भी विवाद हो तो दोनों पक्षों को कानूनी सुरक्षा मिलती है और मामला जल्दी निपटाया जा सकता है।
राज्य सरकारों की सख्ती
अब देश की विभिन्न राज्य सरकारें भी इस नियम को लेकर सख्त हो गई हैं। खासकर दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद जैसे बड़े शहरों में बिना रजिस्ट्रेशन के मकान किराए पर देना कानूनन अपराध बन गया है। यहां तक कि कई जगह पुलिस टीम मकानों की चेकिंग कर रही है और बिना वेरिफिकेशन मिले मकान मालिकों पर जुर्माना लगा रही है। इन शहरों में यदि किरायेदार का रिकार्ड संदिग्ध पाया जाता है और रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है तो आपराधिक कार्रवाई भी हो सकती है। ऐसे में सभी मकान मालिकों को अब नियमों का पालन करना ही होगा।
कैसे कराएं रजिस्ट्रेशन
रेंट एग्रीमेंट रजिस्ट्रेशन कराना अब पहले से कहीं ज्यादा आसान हो गया है। आप नजदीकी सब रजिस्ट्रार ऑफिस में जाकर यह प्रक्रिया पूरी कर सकते हैं या फिर कई राज्यों में ऑनलाइन पोर्टल से भी यह सुविधा मिलती है। आपको आधार कार्ड, पैन कार्ड, बिजली बिल, फोटो और किरायेदार के दस्तावेजों के साथ आवेदन करना होता है। साथ ही स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस भी देनी होती है जो किराए के अनुसार तय होती है। अगर आप समय पर यह प्रक्रिया पूरी करते हैं तो आपको जुर्माने से बचने के साथ साथ भविष्य की परेशानी से भी राहत मिलती है।
अस्वीकृति
यह लेख केवल जानकारी देने के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें बताए गए नियम और कानून राज्य सरकारों के अनुसार समय समय पर बदल सकते हैं। किराए से संबंधित निर्णय लेने से पहले स्थानीय प्रशासन या रजिस्ट्री कार्यालय से आधिकारिक जानकारी जरूर प्राप्त करें। यहां दी गई जानकारी के आधार पर लिए गए किसी भी निर्णय की जिम्मेदारी पाठक की स्वयं की होगी। हम किसी प्रकार की कानूनी जटिलता या जुर्माने के लिए उत्तरदायी नहीं होंगे।