Loan EMI Default Penalty: सुप्रीम कोर्ट ने EMI बाउंस को लेकर अब बड़ा फैसला सुना दिया है जिससे लाखों कर्जदारों को झटका लगा है। अब से अगर किसी ने जानबूझकर EMI नहीं भरी या चेक बाउंस किया, तो उसे सीधे जेल की सजा या भारी जुर्माना देना पड़ सकता है। कोर्ट ने कहा है कि कर्ज लेकर ईएमआई नहीं चुकाने वालों को किसी भी हालत में राहत नहीं दी जाएगी, चाहे मामला कितना भी छोटा क्यों न हो। यह फैसला चेक बाउंस एक्ट यानी Negotiable Instruments Act की धारा 138 के तहत दिया गया है, जिसे अब और सख्ती से लागू किया जाएगा। इससे वित्तीय अनुशासन को मजबूती मिलेगी और बैंकों को धोखा देने वालों पर शिकंजा कसेगा।
क्या है नया नियम
अब अगर किसी की EMI डेट पर अकाउंट में बैलेंस नहीं रहा और भुगतान फेल हो गया तो बैंक या फाइनेंस कंपनी उसे तुरंत लीगल नोटिस भेज सकती है। नोटिस के 15 दिनों के भीतर भुगतान नहीं करने पर कर्जदाता कोर्ट में केस दर्ज कर सकता है। नया नियम यह कहता है कि अगर आरोपी व्यक्ति जानबूझकर भुगतान नहीं करता, तो उसे छह महीने तक की जेल या दोगुना जुर्माना देना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि अब कोई भी आरोपी यह दलील नहीं दे सकता कि चेक भूलवश बाउंस हुआ था। अगर अपराध साबित हो गया तो कोर्ट सख्त सजा सुनाएगा और कोई राहत नहीं दी जाएगी।
क्यों लिया गया फैसला
बीते कुछ सालों में EMI और चेक बाउंस के मामलों में बेतहाशा वृद्धि हुई है, जिससे बैंकों और NBFCs को हजारों करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। कई लोग जानबूझकर भुगतान नहीं करते और फिर अदालतों में सालों तक केस लटकता रहता है। सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रवृत्ति पर रोक लगाने के लिए अब EMI बाउंस को गैरजमानती अपराध के रूप में देखा है और साफ कहा है कि वित्तीय अनुशासन तोड़ने वालों को अब कानून का सामना करना पड़ेगा। कोर्ट का यह फैसला बैंकों और ईएमआई बेस्ड लोन सिस्टम को सुरक्षित बनाए रखने के लिए जरूरी बताया गया है। इससे कर्ज समय पर चुकाने की प्रवृत्ति बढ़ेगी।
आम लोगों पर असर
इस नियम का सीधा असर उन लोगों पर पड़ेगा जो EMI चुकाने में लापरवाही बरतते हैं या बार-बार भुगतान में देरी करते हैं। अब लोगों को अपने बैंक अकाउंट में समय से पहले पैसा रखना होगा ताकि ईएमआई समय पर कट सके। अगर कोई व्यक्ति आर्थिक संकट में है तो उसे पहले से बैंक से बात करके समाधान निकालना होगा, वरना सीधे केस और गिरफ्तारी हो सकती है। यह फैसला आम जनता को जिम्मेदार नागरिक बनाने के साथ-साथ बैंकिंग व्यवस्था में पारदर्शिता भी लाएगा। अब कर्ज लेना आसान नहीं होगा, क्योंकि भुगतान की जवाबदेही पूरी तरह से कर्जदार की होगी और कानून में ढील नहीं मिलेगी।
ऑनलाइन पेमेंट पर लागू
यह नियम सिर्फ चेक या बैंक ड्राफ्ट तक सीमित नहीं है, बल्कि अब डिजिटल भुगतान जैसे ECS, NACH, UPI AutoPay और कार्ड-बेस्ड EMI पर भी लागू होगा। अगर आपने ऑटो डेबिट सेट किया है और अकाउंट में पर्याप्त राशि नहीं रही तो वह भी EMI बाउंस माना जाएगा और उसी के तहत कार्रवाई होगी। बैंक अब हर फेल्ड ट्रांजैक्शन का रिकॉर्ड रखेगा और लगातार बाउंस होने पर आपके सिबिल स्कोर पर भी असर डालेगा। इससे न सिर्फ आपकी भविष्य की क्रेडिट एलिजिबिलिटी घटेगी, बल्कि अगर मामला कोर्ट में गया तो कानूनी सजा का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए सावधानी से हर भुगतान करें।
बैंक की भूमिका
बैंक अब अपने ग्राहकों को EMI बाउंस होने से पहले अलर्ट भेजेंगे और समय रहते भुगतान करने का मौका देंगे, लेकिन अगर ग्राहक अनदेखी करता है तो बैंक लीगल कार्रवाई शुरू कर सकता है। कुछ बैंक तो पहले ही EMI बाउंस पर ₹500 से ₹1,000 तक का चार्ज लगाते हैं, लेकिन अब कोर्ट का फैसला आने के बाद वे लीगल केस भी दर्ज करेंगे। इसके अलावा बैंक अब नए लोन जारी करते समय ग्राहक की EMI भुगतान हिस्ट्री को गंभीरता से देखेंगे और बार-बार डिफॉल्ट करने वालों को लोन देने से इंकार कर सकते हैं। यानी आपके हर ईएमआई व्यवहार का सीधा असर भविष्य की लोन पात्रता पर पड़ेगा।
बचने के उपाय
अगर आप चाहते हैं कि EMI बाउंस का मामला आप पर न आए तो सबसे पहले लोन लेने से पहले अपनी मासिक आय और खर्चों का मूल्यांकन करें। हर महीने की EMI डेट से पहले अकाउंट में पर्याप्त राशि रखें और ऑटो डेबिट का अलर्ट ध्यान से देखें। अगर किसी महीने दिक्कत हो रही है तो समय रहते बैंक को सूचित करें और फोरबेरेंस या डिफर्ड EMI की व्यवस्था करवाएं। जानबूझकर ईएमआई रोकना या इग्नोर करना अब भारी पड़ सकता है। बेहतर यही होगा कि आप जिम्मेदारी से लोन चुकाएं और कानूनी पचड़े से बचें। इससे आपकी साख भी बनी रहेगी और भविष्य में लोन लेना भी आसान रहेगा।
अस्वीकृती
यह लेख सुप्रीम कोर्ट के हालिया EMI बाउंस फैसले पर आधारित है और केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से तैयार किया गया है। किसी भी कानूनी सलाह या निर्णय के लिए संबंधित अधिवक्ता या अधिकृत संस्थान से संपर्क करें। नियमों और कानूनों में समय के साथ बदलाव संभव है, इसलिए ताजा अपडेट के लिए अधिकृत स्रोतों की पुष्टि करें। लेखक या प्रकाशक किसी प्रकार की वित्तीय या कानूनी क्षति के लिए जिम्मेदार नहीं होंगे।