DA Arrear Payment: DA एरियर को लेकर केंद्र सरकार के कर्मचारियों में एक बार फिर नाराजगी देखने को मिल रही है। कई सालों से लंबित महंगाई भत्ता (Dearness Allowance) का बकाया अब तक नहीं मिला है और कर्मचारियों को उम्मीद थी कि सरकार इस बार बजट में कोई बड़ा ऐलान करेगी। लेकिन हाल ही में सरकार की तरफ से दिए गए बयान ने सभी को हैरान कर दिया है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि फिलहाल DA एरियर को लेकर कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। इससे कर्मचारियों में निराशा फैल गई है और सोशल मीडिया पर कई यूनियन और कर्मचारी संगठनों ने नाराज़गी जाहिर की है। लोगों का कहना है कि ₹2 लाख तक का बकाया देना सरकार की जिम्मेदारी है।
18 महीने का एरियर लंबित
सरकारी कर्मचारियों का कहना है कि कोरोना काल में सरकार ने उनके महंगाई भत्ते की वृद्धि को स्थगित कर दिया था। यह रोक अप्रैल 2020 से जून 2021 तक के लिए लगाई गई थी, जो कुल 18 महीने की अवधि बनती है। इस दौरान कर्मचारियों को DA में कोई बढ़ोतरी नहीं मिली और वह बकाया बनता चला गया। अब कर्मचारियों का तर्क है कि जब देश की अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे सामान्य हो चुकी है और सरकार अन्य योजनाओं में पैसा खर्च कर रही है, तो उन्हें भी उनका बकाया मिलना चाहिए। इस एरियर की राशि कई कर्मचारियों के लिए ₹2 लाख तक पहुंच चुकी है।
सरकार ने क्या कहा
हाल ही में संसद में पूछे गए एक सवाल के जवाब में सरकार ने कहा कि फिलहाल DA एरियर को लेकर कोई विचार नहीं चल रहा है। वित्त मंत्रालय के अनुसार, महामारी के समय देश की आर्थिक स्थिति बहुत चुनौतीपूर्ण थी, इसलिए महंगाई भत्ते की वृद्धि पर रोक लगाई गई थी। अब जब स्थिति सामान्य हो रही है, तो नियमित DA वृद्धि दी जा रही है, लेकिन पिछला एरियर देना संभव नहीं है। सरकार का यह रुख कर्मचारियों को चौंकाने वाला लगा है क्योंकि उन्हें उम्मीद थी कि किसी न किसी रूप में उनका बकाया लौटाया जाएगा।
कर्मचारियों की मांग
कर्मचारी संगठनों ने एक बार फिर DA एरियर को लेकर सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि सरकार ने महामारी का हवाला देकर DA रोकने का फैसला लिया था, लेकिन अब जब अर्थव्यवस्था संभल चुकी है, तो उन्हें भी उनका हक मिलना चाहिए। कई कर्मचारी संगठनों ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने जल्द इस पर सकारात्मक फैसला नहीं लिया, तो देशव्यापी विरोध किया जाएगा। उनकी मांग है कि कम से कम किश्तों में ही सही, लेकिन 18 महीने का एरियर कर्मचारियों को मिलना चाहिए क्योंकि यह उनकी मेहनत और हक का पैसा है।
कितना बनता है एरियर
DA एरियर की राशि हर कर्मचारी के ग्रेड और वेतनमान पर निर्भर करती है। अगर किसी कर्मचारी का मूल वेतन ₹30,000 है तो 18 महीने के DA में कुल ₹1.5 लाख से ₹2 लाख तक का एरियर बन सकता है। यह राशि कर्मचारियों के लिए काफी मायने रखती है क्योंकि इसका उपयोग वह बच्चों की पढ़ाई, स्वास्थ्य खर्च या गृह ऋण जैसे कार्यों में कर सकते हैं। कई रिटायर्ड कर्मचारियों का कहना है कि यह एरियर उनके रिटायरमेंट प्लान का हिस्सा था जिसे अब तक रोका गया है। ऐसे में यह केवल आर्थिक मुद्दा नहीं बल्कि भावनात्मक विषय भी बन गया है।
क्या कोई समाधान संभव है
सरकार भले ही फिलहाल DA एरियर देने की योजना में न हो, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि कर्मचारियों का दबाव बढ़ने पर कुछ समाधान सामने आ सकता है। हो सकता है कि सरकार भविष्य में किसी विशेष राहत योजना के तहत यह बकाया आंशिक रूप से लौटाए या इसे ग्रेच्युटी या पेंशन में समायोजित करे। कुछ कर्मचारी संगठनों ने सुझाव दिया है कि एरियर की राशि को टैक्स फ्री कर दिया जाए या एकमुश्त देने की जगह किस्तों में भुगतान किया जाए। हालांकि अभी तक सरकार की ओर से ऐसा कोई संकेत नहीं दिया गया है लेकिन चर्चा जरूर तेज़ हो चुकी है।
सोशल मीडिया पर बवाल
DA एरियर को लेकर सोशल मीडिया पर कर्मचारियों का गुस्सा खुलकर सामने आ रहा है। ट्विटर, फेसबुक और व्हाट्सएप जैसे प्लेटफॉर्म पर हजारों लोग अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं। कई हैशटैग चलाए जा रहे हैं जिनमें सरकार से मांग की जा रही है कि वह जल्द से जल्द DA एरियर भुगतान को लेकर ठोस निर्णय ले। कर्मचारी यूनियनों ने भी अपने सदस्यों से कहा है कि वे डिजिटल माध्यम से अपनी आवाज़ बुलंद करें। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब कर्मचारियों को DA को लेकर आंदोलन का सहारा लेना पड़ रहा है।
अस्वीकृति
यह लेख सरकारी कर्मचारियों के DA एरियर और उससे जुड़ी हालिया स्थिति पर आधारित है। इसमें दी गई जानकारी विभिन्न समाचार स्रोतों, संसद में दिए गए जवाबों और कर्मचारी संगठनों के बयानों पर आधारित है। समय और परिस्थिति के अनुसार इनमें बदलाव संभव है। पाठकों को सलाह दी जाती है कि किसी भी अंतिम निर्णय या योजना से पहले संबंधित सरकारी वेबसाइट या विभाग से आधिकारिक जानकारी प्राप्त करें। यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और इसमें दी गई जानकारी पर किसी प्रकार की सरकारी गारंटी या कानूनी दावा नहीं किया जा सकता।