Land Registry New Rules: अगर आप जमीन खरीदने की सोच रहे हैं तो अब आपको ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ेगा। सरकार ने जमीन की रजिस्ट्री पर नया टैक्स लगाने का फैसला किया है जिससे आम खरीदारों की जेब पर सीधा असर पड़ेगा। अब तक जमीन रजिस्ट्री पर केवल स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस लगती थी, लेकिन अब एक नया सरचार्ज भी जोड़ दिया गया है। यह नियम कई राज्यों में लागू किया जा चुका है और बाकी राज्यों में भी जल्द लागू हो सकता है।
क्या है नया टैक्स और कितना देना होगा
नए नियमों के तहत जमीन रजिस्ट्री पर अतिरिक्त टैक्स यानी सरचार्ज लागू किया गया है जो 1 से 3 प्रतिशत तक हो सकता है। यह टैक्स जमीन की सर्किल रेट या बाजार मूल्य के आधार पर लगाया जाएगा। यानी जितनी ज्यादा कीमत की जमीन होगी, उतना ही ज्यादा टैक्स देना पड़ेगा। उदाहरण के लिए अगर आप 20 लाख की जमीन खरीदते हैं तो अब 20,000 से 60,000 रुपये तक अतिरिक्त देना होगा।
कौन-कौन से राज्यों में लागू हुआ नियम
फिलहाल यह नियम उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड और राजस्थान जैसे राज्यों में लागू किया जा चुका है। दिल्ली और महाराष्ट्र में भी इस पर विचार चल रहा है। कुछ राज्यों में इसे केवल नगर निगम क्षेत्र तक सीमित रखा गया है जबकि कुछ जगहों पर यह पूरे राज्य में लागू किया गया है। इससे छोटे शहरों और गांवों में भी जमीन खरीदना महंगा हो जाएगा।
क्यों लगाया गया नया टैक्स
सरकार का कहना है कि इस नए टैक्स से राज्य की आमदनी बढ़ेगी और विकास कार्यों के लिए ज्यादा पैसा जुटाया जा सकेगा। खासकर उन इलाकों में जहां जमीन की कीमतें बहुत तेजी से बढ़ रही हैं, वहां रेवेन्यू बढ़ाने के लिए यह कदम जरूरी था। हालांकि लोगों का मानना है कि इसका सीधा असर आम आदमी की जमीन खरीदने की क्षमता पर पड़ेगा।
रजिस्ट्री पर कुल कितना खर्च आएगा
पहले जमीन रजिस्ट्री पर कुल मिलाकर 7 से 9 प्रतिशत खर्च आता था जिसमें स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस शामिल थी। लेकिन अब नया टैक्स जोड़ने के बाद यह खर्च 10 से 12 प्रतिशत तक पहुंच सकता है। यानी 10 लाख की जमीन खरीदने पर आपको लगभग 1.2 लाख रुपये तक रजिस्ट्रेशन के लिए खर्च करने होंगे।
खरीदारों की मुश्किलें बढ़ीं
जिन लोगों ने जमीन खरीदने के लिए लोन लिया है, उनके लिए यह नया टैक्स और ज्यादा परेशानी का कारण बन सकता है। उन्हें अब बैंक लोन के अलावा रजिस्ट्री के लिए अलग से ज्यादा पैसे जुटाने होंगे। साथ ही जिन लोगों ने जमीन की बुकिंग पुरानी दरों पर की थी और रजिस्ट्री अब होनी है, उन्हें भी ज्यादा भुगतान करना पड़ सकता है।
रियल एस्टेट सेक्टर पर पड़ेगा असर
रियल एस्टेट से जुड़े लोग इस फैसले को नुकसानदेह मान रहे हैं। उनका कहना है कि पहले से ही बाजार में मंदी का माहौल है और लोग प्रॉपर्टी खरीदने से बच रहे हैं। ऐसे में रजिस्ट्री पर नया टैक्स लगाने से खरीदारों की संख्या और घटेगी। इससे जमीन और फ्लैट की बिक्री पर भी असर पड़ेगा और बिल्डर्स को नुकसान हो सकता है।
क्या पुराने सौदों पर भी लागू होगा नियम
सरकार की ओर से स्पष्ट किया गया है कि यह नियम उन्हीं जमीनों पर लागू होगा जिनकी रजिस्ट्री नया कानून लागू होने के बाद की जाएगी। यानी अगर आपने पहले जमीन खरीदी है लेकिन उसकी रजिस्ट्री अब तक नहीं कराई है, तो आपको नया टैक्स देना पड़ सकता है। इसलिए अब लोग जल्दबाज़ी में रजिस्ट्री कराने की कोशिश कर रहे हैं।
टैक्स से बचने का कोई तरीका है क्या
अभी तक ऐसा कोई कानूनी तरीका नहीं है जिससे आप इस नए टैक्स से बच सकें। हालांकि कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार को चाहिए कि गरीब और मध्यम वर्ग के लिए कुछ छूट दी जाए, जैसे छोटे प्लॉट या ग्रामीण क्षेत्रों में टैक्स में राहत। लेकिन फिलहाल ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं लाया गया है।
भविष्य में और टैक्स बढ़ने की आशंका
चूंकि सरकार का ध्यान अब रेवेन्यू बढ़ाने पर है, इसलिए यह आशंका जताई जा रही है कि भविष्य में रजिस्ट्री पर और भी टैक्स जोड़े जा सकते हैं। जैसे म्यूनिसिपल टैक्स, विकास शुल्क या ग्रीन सेस। इसलिए अगर आप जमीन खरीदने की योजना बना रहे हैं तो जल्द से जल्द फैसला लेना आपके हित में हो सकता है।
निष्कर्ष
सरकार के नए नियम से जमीन की रजिस्ट्री अब महंगी हो गई है। नया सरचार्ज टैक्स लगने से जमीन खरीदने वालों की जेब पर अतिरिक्त भार पड़ेगा। यह नियम कई राज्यों में लागू हो चुका है और बाकी राज्यों में भी जल्द आ सकता है। इससे रियल एस्टेट बाजार पर असर पड़ेगा और आम लोगों के लिए जमीन खरीदना पहले से ज्यादा मुश्किल हो जाएगा। अब जरूरत है कि सरकार आम आदमी को राहत देने के लिए कुछ छूटों का प्रावधान करे ताकि घर या जमीन का सपना सिर्फ सपना न रह जाए।
डिस्क्लेमर
इस लेख में दी गई सभी जानकारी इंटरनेट और समाचार रिपोर्ट्स पर आधारित है। जमीन रजिस्ट्री से संबंधित नियम, टैक्स दर और शर्तें राज्य सरकारों द्वारा तय की जाती हैं जो समय-समय पर बदल सकती हैं। जमीन खरीदने से पहले संबंधित राज्य की रजिस्ट्री अथवा राजस्व विभाग से आधिकारिक जानकारी अवश्य प्राप्त करें। यह लेख केवल सूचना के उद्देश्य से तैयार किया गया है।