WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Sarkari Yojana

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा झटका, बेटियों को अब मिलेगा खेतों में हिस्सा! Supreme Court Property Verdict

Published On:
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा झटका, बेटियों को अब मिलेगा खेतों में हिस्सा! Supreme Court Property Verdict

Supreme Court Property Verdict: सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर महिलाओं के हक में ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, जिससे देशभर में बेटियों को बड़ी राहत मिली है। नए फैसले के तहत अब बेटियों को भी पिता की कृषि भूमि में बराबर का हिस्सा मिलेगा, भले ही उनकी शादी हो चुकी हो या वे अलग शहर में रह रही हों। कोर्ट ने साफ कहा है कि बेटियों के साथ भूमि अधिकारों में कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता और हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 के तहत बेटियों को भी बेटों के समान अधिकार प्राप्त हैं। यह फैसला खासतौर पर ग्रामीण भारत की उन बेटियों के लिए उम्मीद की किरण है, जिन्हें अब तक खेतों में हिस्सा नहीं दिया जाता था।

अब हर बेटी हकदार

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

इस फैसले के अनुसार अब कोई भी परिवार बेटी को सिर्फ इसलिए जमीन से वंचित नहीं कर सकता कि उसकी शादी हो चुकी है या वह अपने मायके में नहीं रहती। कोर्ट ने कहा कि जन्म के साथ ही बेटा और बेटी दोनों संपत्ति के उत्तराधिकारी बन जाते हैं और इसमें शादी का कोई प्रभाव नहीं होना चाहिए। यह बात खासकर कृषि भूमि पर लागू की गई है, जो अब तक अधिकतर बेटों को ही मिलती थी। अब हर बेटी चाहे विवाहित हो या अविवाहित, खेती की जमीन में हकदार होगी और उसे उसका हिस्सा कानूनी रूप से मिलेगा। यह बदलाव सामाजिक सोच को भी बदलने वाला है।

जमीन विवादों पर असर

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का सीधा असर उन लाखों मामलों पर पड़ेगा, जो इस समय देशभर की कोर्टों में चल रहे हैं और जिनमें बेटियों को जमीन से वंचित किया गया है। अब कोर्ट का आदेश इन मामलों में गाइडलाइन के रूप में काम करेगा और बेटियों को न्याय मिलने का रास्ता साफ होगा। साथ ही जिन बेटियों को अब तक धोखे से जमीन से बाहर कर दिया गया था, वे पुनः अपने अधिकार की मांग कर सकती हैं। यह निर्णय जमीनी स्तर पर भले धीरे-धीरे लागू हो, लेकिन इसका प्रभाव आने वाले वर्षों में ग्रामीण संपत्ति विवादों को काफी हद तक कम करेगा।

पंचायतों को निर्देश

इस फैसले के बाद केंद्र सरकार और राज्य सरकारें पंचायतों और राजस्व विभाग को भी दिशा-निर्देश जारी कर रही हैं कि जमीन के बंटवारे या नामांतरण के मामलों में बेटियों के अधिकार की अनदेखी न की जाए। अब कोई भी पटवारी या ग्राम सचिव बेटी के नाम को कृषि भूमि के दस्तावेजों में जोड़ने से इनकार नहीं कर सकता। सरकार ने सभी भूमि रजिस्ट्रेशन ऑफिसों को यह आदेश दिया है कि जमीन के बंटवारे में बेटियों का नाम अनिवार्य रूप से दर्ज किया जाए, और इसके लिए विशेष कैंप भी लगाए जाएंगे। इससे बेटी को खुद अपने अधिकार के लिए दफ्तरों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे।

शादीशुदा बेटियों को राहत

कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि शादी के बाद भी बेटियों का मायके की संपत्ति पर पूरा अधिकार बना रहता है, चाहे वे कहीं भी रह रही हों। अब तक ग्रामीण इलाकों में एक धारणा थी कि शादी होते ही बेटी का मायके की जमीन से कोई नाता नहीं रहता, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने उस सोच को बदल दिया है। अब बेटी का हक सिर्फ नाम का नहीं, बल्कि कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त होगा और उसकी हिस्सेदारी संपत्ति में दर्ज भी की जाएगी। इससे सामाजिक बराबरी की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है और यह फैसला महिला सशक्तिकरण को भी मजबूती देगा।

क्या करना होगा

अगर किसी बेटी को लगता है कि उसे पिता की जमीन में हिस्सा नहीं दिया गया है, तो वह अब इस सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए अपनी मांग रख सकती है। इसके लिए वह अपने क्षेत्र के तहसील ऑफिस में जाकर आवेदन दे सकती है या फिर अदालत में दावा दायर कर सकती है। साथ ही, पहले से चल रहे मामलों में भी बेटियां इस फैसले को आधार बनाकर पुनर्विचार की अपील कर सकती हैं। अब कोई भी परिवार बेटियों को संपत्ति से अलग नहीं कर सकता, क्योंकि यह फैसला संविधान और कानून दोनों की रोशनी में बेटियों के अधिकार को पूरी तरह से वैध ठहराता है।

समाज पर प्रभाव

इस ऐतिहासिक फैसले से समाज में महिलाओं की स्थिति और मजबूत होगी और ग्रामीण क्षेत्रों में बेटियों को केवल ‘पराया धन’ मानने की सोच पर भी गहरी चोट पहुंचेगी। इससे न केवल बेटियों को आर्थिक मजबूती मिलेगी बल्कि उनका आत्मसम्मान भी बढ़ेगा। कई सामाजिक कार्यकर्ता इस फैसले का स्वागत कर रहे हैं और कह रहे हैं कि अब समय आ गया है जब बेटियों को सिर्फ पढ़ाई और नौकरी ही नहीं, बल्कि पैतृक संपत्ति में भी पूरा अधिकार मिलना चाहिए। आने वाले दिनों में पंचायत स्तर पर जागरूकता अभियान भी चलाए जा सकते हैं ताकि बेटियां खुद आगे आकर अपना अधिकार मांग सकें।

अस्वीकृती

यह लेख सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले और उससे जुड़ी सामान्य जानकारी पर आधारित है। किसी भी कानूनी निर्णय या संपत्ति विवाद से पहले कृपया योग्य वकील या संबंधित विभाग से सलाह अवश्य लें। लेख में दी गई जानकारी केवल सूचनात्मक उद्देश्य से है, और इसमें उल्लेखित नियम-कानून समय के साथ बदल सकते हैं। लेखक या प्रकाशक किसी प्रकार की कानूनी कार्रवाई, भ्रम या नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होंगे। अपने क्षेत्र के नियमों और व्यक्तिगत परिस्थितियों के अनुसार ही कोई कदम उठाएं।

Supreme Court Property VerdictSupreme Court Property Verdict 2025Supreme Court Property Verdict DetailsSupreme Court Property Verdict NewsSupreme Court Property Verdict Update

Rajendra Patel

मैं राजेंद्र पटेल हूँ, वर्तमान में अपनी बी.ए. की पढ़ाई कर रहा हूँ और हिंदी कंटेंट राइटर के रूप में अपने कौशल को निखार रहा हूँ मुझे पाठकों से जुड़ने वाली और समझने में आसान सामग्री बनाने का शौक है। नई - नई और रोमांचक जानकारी के लिए नियमित रूप से इस वेबसाइट पर विजिट करें

Leave a Comment